श्लोक - १३२५
अकारणं वियुक्तस्य कामिनीमृदुहस्तयो: ।
स्पर्शभाग्यविहीनस्य हर्ष: काश्चिद् भवेद् ध्रुवम् ॥
Tamil Transliteration
Thavarilar Aayinum Thaamveezhvaar Mendrol
Akaralin Aangon Rutaiththu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | विप्रलम्भसुखम् |