श्लोक - १२२
निग्रह: शाश्वतं वित्तमिति तत् पालयेत् सदा ।
निग्रहादधिकं श्रेयो मानवानं न विद्यते ॥
Tamil Transliteration
Kaakka Porulaa Atakkaththai Aakkam
Adhaninooung Killai Uyirkku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | निग्रहशीलता |