श्लोक - १२०७
प्रिये स्मृतेऽपि मच्चित्तं दग्धं विश्लेषदु:खत: ।
यद्यहं तं विस्मरेयं न जाने किं भवेदिति ॥
Tamil Transliteration
Marappin Evanaavan Markol Marappariyen
Ullinum Ullam Sutum.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | अनुभृतसुखं स्मृत्वा रोदनम् |