श्लोक - १२०५
मम वस्तुं स्वचित्ते न स्थानं यच्छति य: प्रिय: ।
हृदये मम निर्लजं कथं नित्यं वसेदसौ ॥
Tamil Transliteration
Thamnenjaththu Emmaik Katikontaar Naanaarkol
Emnenjaththu Ovaa Varal.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 121 to 133 |
chapter | अनुभृतसुखं स्मृत्वा रोदनम् |