श्लोक - ११९
पक्षपातं विना चित्तं मध्यस्थं च भवेद्यति ।
वाचि मध्यस्थभावोऽपि तदा नूनं भविष्यति ॥
Tamil Transliteration
Sorkottam Illadhu Seppam Orudhalaiyaa
Utkottam Inmai Perin.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | ताटस्थ्यम् |