श्लोक - १०५५
नेत्यनुक्त्वा स्थितं वस्तु दातुमिष्टस्य कस्यचित् ।
अद्यापि सत्वाद्दातृणामग्रे तिष्ठन्ति याचका: ॥
Tamil Transliteration
Karappilaar Vaiyakaththu Unmaiyaal Kannindru
Irappavar Merkol Vadhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | याचना |