श्लोक - १०४६
दारिद्रा: शास्त्रतत्त्वर्थज्ञानवन्तोऽपि तद्वच: ।
न कोऽपि श्रुणुयाल्लोके व्यर्थमेव भवेद्वच: ॥
Tamil Transliteration
Narporul Nankunarndhu Sollinum Nalkoorndhaar
Sorporul Sorvu Patum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | दारिद्र्यम् |