श्लोक - १०१९
चारित्रहानि: कस्यापि नाशयेत् कुलगौरवम् ।
कस्यचित् सकलं श्रेयो लज्जाभावो व्यपोहति ॥
Tamil Transliteration
Kulanjutum Kolkai Pizhaippin Nalanjutum
Naaninmai Nindrak Katai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | लज्जाशीलता |