श्लोक - १०१४
लज्जैवाभरणं लोके गुणज्ञानां महात्मनाम् ।
गभीरगमनं तेषां लज्जाभावे न शोभते ॥
Tamil Transliteration
Aniandro Naanutaimai Saandrorkku Aqdhindrel
Piniandro Peetu Natai.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | लज्जाशीलता |