श्लोक - १०१३
यथा शरीरमालम्ब्य वर्तन्ते जीवराशय: ।
लज्जामाश्रित्य वर्तेत् महत्वाख्यगुणस्तथा ॥
Tamil Transliteration
Oonaik Kuriththa Uyirellaam Naanennum
Nanmai Kuriththadhu Saalpu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | लज्जाशीलता |