श्लोक - ८०१

श्लोक 801
श्लोक #८०१
जो कुछ भी अधिकार से, करते हैं जन इष्ट ।
तिरस्कार बिन मानना, मैत्री कहो धनिष्ठ ॥

Tamil Transliteration
Pazhaimai Enappatuvadhu Yaadhenin Yaadhum
Kizhamaiyaik Keezhndhitaa Natpu.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 91 to 100
chapterचिर- मैत्री