श्लोक - ७४५
जो रहता दुर्जेय है, रखता यथेष्ट अन्न ।
अंतरस्थ टिकते सुलभ, दुर्ग वही संपन्न ॥
Tamil Transliteration
Kolarkaridhaaik Kontakoozhth Thaaki Akaththaar
Nilaikkelidhaam Neeradhu Aran.
Section | अर्थ- कांड |
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Chapter Group | अध्याय 061 to 070 |
chapter | दुर्गी |