श्लोक - ५२७

श्लोक 527
श्लोक #५२७
बिना छिपाये काँव कर, कौआ खाता भोज्य ।
जो हैं उसी स्वभाव के, पाते हैं सब भोग्य ॥

Tamil Transliteration
Kaakkai Karavaa Karaindhunnum Aakkamum
Annanee Raarkke Ula.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 039 to 050
chapterबंधुओं को अपनाना