श्लोक - ५२४

श्लोक 524
श्लोक #५२४
अपने को पाया धनी, तो फल हो यह प्राप्त ।
बन्धु-मंडली घिर रहे, यों रहना बन आप्त ॥

Tamil Transliteration
Sutraththaal Sutrap Pataozhukal Selvandhaan
Petraththaal Petra Payan.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 039 to 050
chapterबंधुओं को अपनाना