श्लोक - ८२६

श्लोक 826
श्लोक #८२६
यद्यपि बोलें मित्र सम, हितकर वचन गढ़ंत ।
शत्रु-वचन की व्यर्थता, होती प्रकट तुरंत ॥

Tamil Transliteration
Nattaarpol Nallavai Sollinum Ottaarsol
Ollai Unarap Patum.

Sectionअर्थ- कांड
Chapter Groupअध्याय 91 to 100
chapterकपट मैत्री