श्लोक - ९५४
अनेककोटिसंख्याकधनलाभकृतेऽपि ते ।
न कुर्यु: सत्कुलोत्पन्ना दोषं कुलविद्यातकम् ॥
Tamil Transliteration
Atukkiya Koti Perinum Kutippirandhaar
Kundruva Seydhal Ilar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | कुलीनत्वम् |