श्लोक - ८७
सदाराधनयज्ञस्य फलं वाचामगोचरम् ।
अतिथेर्योग्यता भेदात् फलमेदो ऽपि सम्मत्: ॥
Tamil Transliteration
Inaiththunaith Thenpadhon Rillai Virundhin
Thunaiththunai Velvip Payan.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | अतिथिसत्कार: |