श्लोक - ८५४
दु:खानामादिमं दु:खं भेदज्ञानाभिधं नर: ।
नाशयन् स्वयमाप्नोति सुखानामुत्तमं सुखम् ॥
Tamil Transliteration
Inpaththul Inpam Payakkum Ikalennum
Thunpaththul Thunpang Ketin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | भेदबुद्ध: |