श्लोक - ८३९
मूढै: साकं वियोगेन दु:खं कस्यापि नोद्भवेत् ।
तस्मान्मूढेन मैत्री तु भवेदानन्दायिनी ॥
Tamil Transliteration
Peridhinidhu Pedhaiyaar Kenmai Pirivinkan
Peezhai Tharuvadhon Ril.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | मौढ्यम् |