श्लोक - ८१६
मूढै: साकं दृढस्नेहकरणात्, ज्ञानिभि: सह ।
विरोध: कोटिसंख्याकलाभं नूनं प्रयच्छति ॥
Tamil Transliteration
Pedhai Perungezheei Natpin Arivutaiyaar
Edhinmai Koti Urum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | निर्गुणजनमैत्री |