श्लोक - ८०९
स्वातन्त्र्येण चिरान्मत्रीं कुर्वता केनचित् सह ।
सौहार्दं न त्यजेद्यस्तु लोकस्तं बहु मानयेत् ॥
Tamil Transliteration
Ketaaa Vazhivandha Kenmaiyaar Kenmai
Vitaaar Vizhaiyum Ulaku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | प्राक्तनस्नेह: |