श्लोक - ८०५
स्वातन्त्र्यमथवा ऽज्ञत्वं वक्तव्यं तत्र कारणम् ।
स्ववाञ्छितविरोधेन सुहृत् कार्यं करोति चेत् ॥
Tamil Transliteration
Pedhaimai Ondro Perungizhamai Endrunarka
Nodhakka Nattaar Seyin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | प्राक्तनस्नेह: |