श्लोक - ७८१
आर्जनीयं स्नेहसमं श्रेष्ठं वस्तु न विद्यते ।
शत्रुभ्यो रक्षकं वस्तु स्नेहादन्यद् भवेत् किमु ॥
Tamil Transliteration
Seyarkariya Yaavula Natpin Adhupol
Vinaikkariya Yaavula Kaappu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 91 to 100 |
chapter | स्नेह: |