श्लोक - ७७

श्लोक 77
श्लोक #७७
निरस्थिकान् कीटगणान् आतपो बाघते यथा ।
जीवं प्रेम्णा विरहितं तथा धर्मोपि बाघते ॥

Tamil Transliteration
Enpi Ladhanai Veyilpolak Kaayume
Anpi Ladhanai Aram.

Sectionभाग–१: धर्मकाण्ड
Chapter Groupअधिकार 011 to 020
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