श्लोक - ७७
निरस्थिकान् कीटगणान् आतपो बाघते यथा ।
जीवं प्रेम्णा विरहितं तथा धर्मोपि बाघते ॥
Tamil Transliteration
Enpi Ladhanai Veyilpolak Kaayume
Anpi Ladhanai Aram.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | प्रीति: |
निरस्थिकान् कीटगणान् आतपो बाघते यथा ।
जीवं प्रेम्णा विरहितं तथा धर्मोपि बाघते ॥
Tamil Transliteration
Enpi Ladhanai Veyilpolak Kaayume
Anpi Ladhanai Aram.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | प्रीति: |