श्लोक - ७७२
अमोघं बाणमुत्सृज्य शशे प्राप्तो जयो वृथा ।
गजे प्रयुक्तबाणस्तु मोघोऽपि स्याज्जयावह: ॥
Tamil Transliteration
Kaana Muyaleydha Ampinil Yaanai
Pizhaiththavel Endhal Inidhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 081 to 090 |
chapter | सेनादार्ढ्यम् |