श्लोक - ७४०
उक्तसर्वगुणाढयेऽपि देशे नास्ति प्रयोजनम् ।
यदि राज्ञ: प्रजानां च मिथ: प्रीतिर्न वर्तते ॥
Tamil Transliteration
Aangamai Veydhiyak Kannum Payamindre
Vendhamai Villaadha Naatu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 061 to 070 |
chapter | देश्: |