श्लोक - ७२२
पण्डितेष्वग्रगण्यास्ते श्लाघ्यन्ते सकलैरपि ।
अधीतं विदुषामग्रे विस्पष्टं यैर्निरूप्यते ॥
Tamil Transliteration
Katraarul Katraar Enappatuvar Katraarmun
Katra Selachchollu Vaar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | सभाकम्पविहीनता |