श्लोक - ७१०
'परभावपरिज्ञाने वयं निशितबुद्धय:' ।
इति वक्तुं स शक्त: स्यात् दृष्ट्या यो वेद् चाशयम् ॥
Tamil Transliteration
Nunniyam Enpaar Alakkungol Kaanungaal
Kannalladhu Illai Pira.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | इङ्गितपरिज्ञानम् |