श्लोक - ७०८
इङ्गिताद्भवावज्ञातुरग्रे त्वागत्य तिष्ठत: ।
यो वेत्ति हृदयं तस्मिन् दु:खस्य कथनं वृथा ॥
Tamil Transliteration
Mukamnokki Nirka Amaiyum Akamnokki
Utra Thunarvaarp Perin.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | इङ्गितपरिज्ञानम् |