श्लोक - ६८४
विमर्शसहिता विद्या रूपं स्वाभाविकी मति: ।
एतत्त्रितयसम्पन्नो दौत्यकर्म समाचरेत् ॥
Tamil Transliteration
Arivuru Vaaraaindha Kalviim Moondran
Serivutaiyaan Selka Vinaikku.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | दौत्यम् |