श्लोक - ६८२
विमृश्य वाक्यकथनपाटवं ज्ञानमार्जवम् ।
राजप्रीतिरिमे दूतो त्रय: स्वाभाविका गुणा: ॥
Tamil Transliteration
Anparivu Aaraaindha Solvanmai Thoodhuraippaarkku
Indri Yamaiyaadha Moondru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 051 to 060 |
chapter | दौत्यम् |