श्लोक - ५६१
दुष्ट विचार्य ताटस्थ्यात् पुनस्तं दोषकर्मण: ।
निवारयन् पालयेद् य: स भूपाल इतीर्यते ॥
Tamil Transliteration
Thakkaangu Naatith Thalaichchellaa Vannaththaal
Oththaangu Oruppadhu Vendhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
---|---|
Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | निर्भयत्वन् |