श्लोक - ५४
पातिव्रत्येन संपन्ना गृहिणी यदि सङ्गता
तस्मादज्युत्तं भाग्यं गृहस्थास्य न लभ्यते ॥
Tamil Transliteration
Pennin Perundhakka Yaavula Karpennum
Thinmaiun Taakap Perin.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | पत्नी |