श्लोक - ५३८
श्लाघितं नीतिशास्त्रज्ञै: क्रियतां कर्म सादरम् ।
अकुर्वाणस्य विस्मृत्या सप्त जन्म वृथा भवेत् ॥
Tamil Transliteration
Pukazhndhavai Potrich Cheyalventum Seyyaadhu
Ikazhndhaarkku Ezhumaiyum Il.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | अविस्मरणम् |