श्लोक - ५१३
ज्ञानं प्रीतिरकालुष्यं निराशा धनसञ्चये ।
गुणैरेतै: समायुक्तो राजकार्ये नियोज्यताम् ॥
Tamil Transliteration
Anparivu Thetram Avaavinmai Innaankum
Nankutaiyaan Katte Thelivu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | विमृश्य कार्यकरणम |