श्लोक - ४८२
काले कर्म समारब्धं विचार्य च कृतं पुन: ।
अस्थिरामपि सम्पत्तिं बघ्नात्येकत्र सुस्थिराम् ॥
Tamil Transliteration
Paruvaththotu Otta Ozhukal Thiruvinaith
Theeraamai Aarkkung Kayiru.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 49 |