श्लोक - ४७४
अकृत्वा च परै: स्नेहमज्ञात्वा बलमात्मन: ।
आत्मश्लाघापरा लोके नाशं शीघ्रमवाप्नुयु: ॥
Tamil Transliteration
Amaindhaang Kozhukaan Alavariyaan Thannai
Viyandhaan Viraindhu Ketum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 48 |