श्लोक - ४३७
अदत्वा धर्मकार्यार्थमभुत्तवा च स्वयं धनम् ।
रक्षतो लोभिनो नश्येत् पुरुषार्थत्रयं वृथा ॥
Tamil Transliteration
Seyarpaala Seyyaa Thivariyaan Selvam
Uyarpaala Thandrik Ketum.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 039 to 050 |
chapter | unknown 44 |