श्लोक - ४१
त्रयाणामपि वर्णानां स्वधर्ममनुतिष्ठताम् ।
गृहस्थो धर्मनिरतो नित्यं साह्यकरो मत्: ॥
Tamil Transliteration
Ilvaazhvaan Enpaan Iyalputaiya Moovarkkum
Nallaatrin Nindra Thunai.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | गार्हस्थ्यम् |