श्लोक - ३४
यत् कृतं शुद्धमनसा स धर्म इति कथ्यते ।
हच्छुद्धिरहितं कर्म केवलाडम्बरार्थकम् ॥
Tamil Transliteration
Manaththukkan Maasilan Aadhal Anaiththu Aran
Aakula Neera Pira.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 001 to 010 |
chapter | धर्मवैशिष्ट्यम् |