श्लोक - ३३०
रुग्णान् दरिद्रान् शास्त्रज्ञा: पश्यन्तो नीवजीवनान्।
"इमे जन्मान्तरे जघ्नु: प्राणा" नित्येव जानते॥
Tamil Transliteration
Uyir Utampin Neekkiyaar Enpa Seyir Utampin
Sellaaththee Vaazhkkai Yavar.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 021 to 030 |
chapter | अवध: |