श्लोक - २०१
दुष्कर्मनिरता लोका: पापेभ्यो न हि बिम्यति।
सत्कर्मनिरता सन्त पापाद्विभ्यति सर्वदा॥
Tamil Transliteration
Theevinaiyaar Anjaar Vizhumiyaar Anjuvar
Theevinai Ennum Serukku.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | दुष्कर्मभीति: |