श्लोक - १९४
हीनमर्थगुणाभ्यां यत् वाक्यं सर्वत्र कथ्यते ।
नीत्या विरहितं तत्तु नाशयेत् सद्गुणानपि ॥
Tamil Transliteration
Nayansaaraa Nanmaiyin Neekkum Payansaaraap
Panpilsol Pallaa Rakaththu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
---|---|
Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | वृथालापनिषेध: |