श्लोक - १४४
पापं किञ्चिदनालोच्य परनारीरतात्मन: ।
किमन्यै र्विभवै: पूणैं: स दु:खान्न विमुच्यते ॥
Tamil Transliteration
Enaiththunaiyar Aayinum Ennaam Thinaiththunaiyum
Theraan Piranil Pukal.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परदारपराङ्मुखता |