श्लोक - १४२
परपत्नीलम्पटनां मध्ये मृढतमो हि स: ।
परदार गृहद्वारे कामार्तो य: प्रतीक्षते ॥
Tamil Transliteration
Arankatai Nindraarul Ellaam Pirankatai
Nindraarin Pedhaiyaar Il.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | परदारपराङ्मुखता |