श्लोक - १२५
सदा निग्रहशीलत्वं सर्वेषामुत्तं मतम् ।
तेषु चाप्यग्रगण्यस्य तद्भवेदधिकं धनम् ॥
Tamil Transliteration
Ellaarkkum Nandraam Panidhal Avarullum
Selvarkke Selvam Thakaiththu.
Section | भाग–१: धर्मकाण्ड |
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Chapter Group | अधिकार 011 to 020 |
chapter | निग्रहशीलता |