श्लोक - १११८
यदि त्वं मुखवत्त्वस्या: शोभां चन्द्र! वहेस्तदा ।
मत्प्रीतिपात्रं त्वं मूया: सर्वदा विजयी भव ॥
Tamil Transliteration
Maadhar Mukampol Olivita Vallaiyel
Kaadhalai Vaazhi Madhi.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 109to 120 |
chapter | लावण्यमहिमा |