श्लोक - १०९१
अयास्तु स्वञ्जने नेत्रे दृष्टिद्व्यसमन्विते ।
मह्यं रोगं ददात्येका श्मयत्यपरा तु तम् ॥
Tamil Transliteration
Irunokku Ivalunkan Ulladhu Orunokku
Noinokkon Rannoi Marundhu.
Section | भाग–३: काम-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 109to 120 |
chapter | भावपरिज्ञानम् |