श्लोक - १०७५
राजदण्डभयान्नीचा भवन्ति गुणशालिन: ।
सच्चारित्रसमेता: स्युस्ते लब्धुं वाञ्छितं क्कचित् ॥
Tamil Transliteration
Achchame Keezhkaladhu Aasaaram Echcham
Avaavuntel Untaam Siridhu.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | नीचत्वम् |