श्लोक - १०७२
विवेकज्ञानवद्भयोऽपि नीचा: स्युर्भाग्यशालिन: ।
यतस्तै: सदसच्चिन्ता कापि न क्रियते किल ॥
Tamil Transliteration
Nandrari Vaarir Kayavar Thiruvutaiyar
Nenjaththu Avalam Ilar.
Section | भाग–२: अर्थ-काण्ड |
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Chapter Group | अध्याय 101 to 108 |
chapter | नीचत्वम् |